लेखनी कहानी -आमदनी

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आमदनी आमदनी अठन्नी खर्चा रुपैया, ऐसा जमाना  आया देखो भैया। चादर से ज्यादा पांव फैलाएं, उधार की रोटी वह तो खाएं। रिश्ते भरने में जीवन गवाएं, चैन से फिर रह नहीं ...

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